डीएमएफ घोटाले में अब तक 90.48 करोड़ रुपये के गबन का राजफाश हो चुका है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ईओडब्ल्यू के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी समानांतर रूप से जांच कर रहा है। रिमांड पर लिए गए अधिकारियों से पूछताछ इस बड़े घोटाले की परतों को खोलने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
रायपुर। बहुचर्चित जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) घोटाले में कोरबा जिले के चार पूर्व जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारियों (सीईओ) को पूछताछ के लिए 19 मई तक रिमांड पर लिया है। इनमें तत्कालीन डीएमएफटी नोडल अधिकारी भरोसाराम ठाकुर, सीईओ भूनेश्वर सिंह राज, राधेश्याम मिर्झा और वीरेंद्र कुमार राठौर शामिल हैं।
मंगलवार को इन चारों अधिकारियों को विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश किया गया। अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि पूछताछ के दौरान नए महत्वपूर्ण जानकारी मिली है, जिसके आधार पर दस्तावेज और सबूत जुटाने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है। अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलील को मानते हुए चारों आरोपियों की रिमांड 19 मई तक बढ़ा दी है।
गौरतलब है कि डीएमएफ घोटाले में अब तक 90.48 करोड़ रुपये के गबन का राजफाश हो चुका है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ईओडब्ल्यू के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी समानांतर रूप से जांच कर रहा है। रिमांड पर लिए गए अधिकारियों से पूछताछ इस बड़े घोटाले की परतों को खोलने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
रिमांड को बढ़ाया गया
- डीएमएफ घोटाले में पहले से जेल में बंद निलंबित आइएएस अधिकारी रानू साहू, सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी, माया वारियर और मनोज द्विवेदी की न्यायिक रिमांड भी 27 मई तक बढ़ा दी गई है।
- सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अदालत को सूचित किया कि मामले की जांच अभी जारी है।
- रिमांड पर लिए गए चार अधिकारियों से पूछताछ महत्वपूर्ण है।
- इसलिए अन्य आरोपितों की न्यायिक हिरासत बढ़ाना आवश्यक है।