आज कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर पांच बिल्डिंग दुर्ग में विधायक श्री अरुण वोरा द्वारा हरित पहल करते हुए कृष्ण कुंज का शुभारंभ किया गया। जिले के सभी 9 कृष्ण कुंज में आज कुल 2 हजार 313 पौधों का पौधारोपण किया गया। इसके लिए 3.96 हेक्टेयर (9 एकड़ ) भूमि का रकबा, नगरीय निकाय में कृष्ण कुंज के लिए चिन्हित किया गया था।जिसमें पौधारोपण कर हरियाली की छंटा को बिखेरी गयी। स्थानीय लोगों ने कृष्ण कुंज को ऑक्सीजन जोन की दी संज्ञा।
इस अवसर पर दुर्ग के विधायक श्री अरुण वोरा ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा 26 जनवरी को कृष्ण कुंज बनाने की घोषणा की गई थी जिसने आज कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर अपना मूर्त रूप लिया, राज्य शासन छत्तीसगढ़ की संस्कृति को विश्व पटल पर ले जाने का कार्य कर रही है। आज कृष्ण कुंज के माध्यम से हम अपनी भावी पीढ़ी को शुद्ध एवं स्वच्छ वातावरण देने का प्रयास कर रहे हैं और इसे ही भावी पीढ़ी को संजों और संरक्षित कर आगे बढ़ाना है।

जिले के नगरी निकाय में चिन्हित कृष्ण कुंज- दुर्ग के अंतर्गत 9 नगरी निकायों में कृष्ण कुंज का चिन्हांकन किया गया है। यह कृष्ण कुंज 5 बिल्डिंग तितुरडीह, दुर्ग, कृष्ण कुंज अटारी पाटन, कृष्ण कुंज उतई, कृष्ण कुंज कुरूद, कृष्ण कुंज भिलाई-3, कृष्ण कुंज जामुल वार्ड-18, कृष्ण कुंज धमधा वार्ड 01 नया तालाब, कृष्ण कुंज वार्ड-01 परसदा कुम्हारी, कृष्ण कुंज बानबरद अहिवारा  मंम स्थापित हैं।
कृष्ण कुंज में 33 प्रकार के पौधों का किया गया रोपण – सभी 9 कृष्ण कुंज में रुद्राक्ष, बरगद, पीपल धार्मिक महत्व रखने वाले पौधों के साथ-साथ फलदार वृक्ष, चिकित्सीय गुण रखने वाले 33 प्रकार के पौधों का  पौधारोपण किया गया।इन पौधों में 127 आम ,73 इमली ,157 गंगा इमली  ,181जामुन ,35 बेर , 14 गंगा बेर , 142 शहतूत,15 तेंदू , 116चार , 34 अनार, 30  गुड़हल,  88 कदम्ब ,68 पीपल , 166 नीम , 56 बरगद ,152 अमरुद , 147 सीताफल , 40बेल , 182आंवला , 9 कचनार ,9 बहेडा , 14 महुआ  , 2 करंज , 11काजू , 114 मौल श्री ,  33 अमरूद ,  25 बेल , 140 बादाम , 30 डूमर ,34 रामफल , 23 लक्ष्मण फल , 22 रुद्राक्ष , 24 परिजात के पौधे शामिल हैं।

स्थानीय लोग कृष्ण कुंज को बता रहे हैं, ऑक्सीजन जोन- कृष्ण कुंज में विविध प्रकार के पौधों से स्थानीय लोग प्रभावित होकर इसे उस स्थल की क्षेत्र परिधि का ऑक्सीजन जोन  कह रहे हैं। कृष्ण कुंज के पास के स्थानीय लोग इसे पर्यावरण के दृष्टिकोण से शासन का सकारात्मक कदम बता रहे हैं।

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