वैश्विक आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण दिवस के अवसर पर जिला स्तरीय एक दिवसीय संगोष्ठि कार्यशाला का आयोजन किया गया। उपरोक्त आयोजित कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग के सभी कार्यक्रम अधिकारी, कर्मचारी,  राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं शहरी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारी, विकासखण्ड स्तर के अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित शामिल हुए। कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा आयोडीन का महत्व उपयोगिता व कमी के दुष्परिणाम को विस्तार पूर्वक बताया गया। साथ ही आयोडोन के कमी को दूर करने के उपाय, नमक में आयोडीन की मात्रा, जांच एवं आयोडीन नमक के उपयोगिता को विस्तार पूर्वक समझाया गया।
सीएमएचओ डॉ एसएन केशरी ने बताया की आयोडीन की कमी से बाल झड़ना, धड़कन कम होना, गले में सूजन, बजन बढ़ना, बहरापन हो सकता है। गर्भवती महिलाओं एवं गर्भस्थ शिशु के लिये आयोडीन बहुत आवश्यक है जिससे बच्चे का विकास होता है एवं कोई विकृति नहीं होता है। कार्यशाला में आयोडीन की कमी से बचने के लिये आयोडीन युक्त नमक, हरी सब्जियां, अंडा, मछली, मशरूम, आलू, फूल गोभी, आदि का सेवन किया जाना बताया गया। उपरोक्त दिवस पर जिला चिकित्सालय सह् शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण के संबंध में रंगोली प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें सी.एच.ओ. प्रशिक्षणार्थी एवं बी.एस.सी. नर्सिंग के छात्राओं ने भाग लिए। ग्रामीण स्तर पर मितानिनों के द्वारा आयोडीन टेस्ट किया जा रहा है। सीएमएचओ ने  बताया कि जिले में 21 से 27 अक्टूबर तक वैश्विक आयोडीन अस्पता विकार नियंत्रण सप्ताह मनाया जा रहा है। जिसमें नुक्कड़ नाटक, प्रचार प्रसार सामग्री के द्वारा आयोडीन युक्त नमक के सेवन द्वारा आयाडीन अल्पता विकार से बचाव के संबंध में जन साधारण में जन जागरूकता लाने हेतु कार्य किये जा रहे है।

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