रायपुर- राज्य की 55 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सरकारी मोबाइल नंबर का डेटा हैक हो गया है। इसमें 26 लाख हितग्राहियों का डिटेल है। ये डेटा ठग गैंग के पास पहुंच गया है। इस कारण इन लाखों महिलाओं को ठगे जाने का संकट मंडरा रहा है। दरअसल, आंगनबाड़ी कार्यकर्याओं के मोबाइल में जितनी हितग्राहियों की हिस्ट्री है, ऑनलाइन ठग उन्हें टारगेट कर रहे हैं।
मामले का पता तब लगा जब एसएसपी से शिकायत करने एसपी ऑफिस आईं आंगनबाड़ी महिलाओं के एक प्रतिनिधि मंडल से दैनिक भास्कर रिपोर्टर की मुलाकात हुई। उनकी आपबीती सुनने के बाद भास्कर ने 10 से ज्यादा जिले में पड़ताल की।
इनमें रायपुर की दो दर्जन से ज्यादा आंगनबाड़ी में पहुंचने के बाद धमतरी, महासमुंद, बलोदाबाजार, जांजगीर चांपा, बस्तर, सुकमा, राजनंदगांव, बेमेतरा, बालोद और कवर्धा जिले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से संपर्क किया। पता चला है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मोबाइल एप में हितग्राही महिला के साथ पति, सास-ससुर और बच्चों के नाम दर्ज हैं।
उनका आधार और बैंक खाते का नंबर भी एप में रहता है। डेटा लीक होने से ठगों को हर हितग्राही की जानकारी मिल गई है। दरअसल, महिलाओं को पहले बच्चे की डिलीवरी के बाद आंगनबाड़ी के माध्यम से 5000 और दूसरा बच्चा बेटी होने पर 6000 रुपए मिलते हैं। इसके अलावा रेडी टू ईट के तहत पोषाहार का लाभ दिया जाता है। बस इन्हीं स्कीम का नाम लेकर ही महिलाओं को ठगा जा रहा है।
जालसाज किसी से महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी बनकर तो किसी को स्वास्थ्य विभाग के अफसर बनकर कॉल करते हैं। अनुमान के मुताबिक ठग पिछले करीब 2 साल के अंदर 10 जिलों में 300 की औसत से लगभग 3 हजार महिलाओं को ठग चुके हैं।
कभी महिला बाल विकास, कभी नोडल अधिकारी बनकर ठग रहे जालसाज
केस 1 –मुझसे कहा पैसे डालो तो पैसे मिलेंगे, 9000 ठगे
सीता नगर आंगनवाड़ी केंद्र में दोपहर करीब 1:00 बजे मोनिका और राखी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ममता मैडम से अपने डूबे पैसों जानकारी लेने पहुंचे थे। भास्कर संवाददाता को मोनिका ने बताया मुझे फोन आया और कहा दीदी आपकी डिलीवरी हुई है। पैसा मिला या नहीं। मैंने कहा नहीं। तो कहा अभी हम डाल रहे हैं आप ऑनलाइन चेक करके बताइए। मैंने कहा मुझे ऑनलाइन चेक करना नहीं आता। तो कहा घर में कोई भी फोन पे चलाता होगा। मैंने पति का फोन पे नंबर दिया। उन्होंने बार-बार कहा कि चेक करो पैसा आया क्या? पति ने ऐसा करते-करते उन्होंने 9000 डलवाए। फिर फोन बंद कर दिया।
केस 2 –कार्यकर्ता से कांफ्रेंस कॉल, फिर 36 हजार की ठगी
गुढ़ियारी बिजली ऑफिस के सामने स्थित आंगनबाड़ी कार्यालय में दोपहर ढाई बजे आरती के साथ और राखी साहू बैठे मिले। कार्यकर्ता सरोजिनी ने भास्कर को बताया कि उन्हें करीब हफ्ता भर पहले फोन आया और कहा हम आपके डीपीओ बोल रहे हैं। उन्होंने जिस ढंग से चीजें बताईं, उससे हमें डीपीओ होने का विश्वास हो गया। उन्होंने रेडी टू एट के बारे में बात की। फिर हितग्राही आरती साहू को कांफ्रेंस कॉल लगाया। मुझसे कहा कि तुम लाइन में रहना। जब वह आरती से बात कर रहे थे तो मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। बाद में पता चला आरती के खाते से 35 हजार रुपए निकाल लिए।
अफसर नहीं जानते, सिक्योरिटी ऑडिट हुआ या नहीं
भास्कर ने महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों से जब पूछा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को जो एप उपयोग के लिए दिया गया है, उसका सिक्योरिटी ऑडिट कराया जा रहा है या नहीं? विभाग के संयुक्त संचालक दिलदार सिंह मरावी ने बताया कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं क्योंकि यह एपप दिल्ली से कनेक्ट है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मोबाइल एप की मॉनिटरिंग करने वाले राज्य के nic विंग को भी नहीं मालूम की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मोबाइल ऐप का सिक्योरिटी ऑडिट हुआ है या नहीं। उनका कहना है दिल्ली से सिस्टम ऑपरेट होता है।
ऑनलाइन सिस्टम अगर लागू करवाया जा रहा है तो सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम होने चाहिए। हम इस मामले में पुलिस के आला अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं। – पद्मावती साहू, अध्यक्ष, आंगनबड़ी कार्यकर्ता जुझारू संघ
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का संघ शिकायत करने पहुंचा था। डेटा जुटाया जा रहा है। कहां, कितनी शिकायतें हुई है। जांच करेंगे डेटा कैसे लीक हुआ है। –डॉ. लाल उमेद सिंह, एसएसपी रायपुर