धमतरी। नगरी ब्लाक के ग्राम मासूलखोई में तेंदुआ से भिड़कर बुजुर्ग ने अपनी जान बचाई। अस्पताल में उपचार के बाद अब स्वस्थ हो गए हैं। कुछ देर बाद इस तेंदुए ने ही दम तोड़ दिया। आम तौर पर तेंदुए को देखते ही रूह कांप उठती है। उससे लड़ना तो दूर जान बचाकर भागना भी मुश्किल हो जाता है, लेकिन ग्राम मासूलखोई के 65 वर्षीय बुजुर्ग रंजीत नेताम पुत्र बुधुराम नेताम ने अपना हौसला नहीं खोया।
वह खेत की झोपड़ी में बैठकर व सोकर फसल की रखवाली कर रहा था। 12 मई की दोपहर करीब 12 बजे अचानक एक तेंदुए ने आक्रमण कर दिया। रंजीत ने अपना हौसला नहीं खोया। उसने पूरी शक्ति लगाकर तेंदुए का मुकाबला किया और अपने जान बचाने में सफल रहा।
रंजीत ने बताया कि तेंदुए आसपास के जंगल से इस ओर पहुंचा था और अचानक हमला किया था। मैंने सोच लिया था कि अब तो जान जाएगी या बचेगी। पूरी शक्ति झोंकी और कुछ देर तक डंडा लेकर उससे भीड़ गया।
हालांकि तेंदुए के तेज नाखून व दांत आदि से रंजीत के चेहरा एवं अन्य अंगों में खरोंच व गहरा घाव बन गया था। रंजीत ने साहस बटोरकर घर पहुंचा और स्वजन उन्हें लेकर उपचार के लिए अस्पताल पहुंचा, जहां उपचार के बाद उसकी हालत खतरे से बाहर है।
पिंजरे में ही तेंदुए की मौत
- इधर ग्रामीणों ने वन विभाग को तत्काल सूचना दी और रेस्क्यू टीम कुछ देर बाद गांव पहुंचकर पतासाजी करती रही। बाद में वह बुजुर्ग के खेत के पास नाली में दुबका हुआ मिला।
- उसे भी संघर्ष के दौरान चोंट लगी थी। रेस्क्यू टीम ने उन्हें पिंजरे में कैद किया और ले जा रहे थे। विभाग के मुताबिक रास्ते में तेंदुए ने दम तोड़ दिया।
- सीतानदी अभ्यारण्य के उपनिदेशक वरूण जैन ने बताया कि रेस्क्यू कर लाते समय तेंदुए ने दम तोड़ दिया। वह चार साल का मादा तेंदुए था।
- उसे पहले भी कहीं चोट लगी थी और पांच-सात दिन पुराना गंभीर घाव बन गया था। शायद इसी वजह से उनकी मौत हुई होगी। उसका पोस्टमार्टम करके अंतिम संस्कार किया गया।
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद तेंदुए की मौत का कारण स्पष्ट हो पाएगा। तेंदुए के रेस्क्यू में जंगल सफारी के डाॅक्टर जय किशोर जड़िया, उपनिदेशक वरूण जैन, सहायक संचालक उदंती गोपाल कश्यप, रेंजर रिसगांव शैलेष बघेल, रेंजर दक्षिण उदंती चंद्रबली धु्रव, रेंजर इन्दागांव सुशील सागर, ड्रोन पायलेट सुधांशु वर्मा, राकेश मारकंडे, राजेन्द्र सिन्हा समेत 15 स्टाफ मौजूद थे।