नेतन्याहू ने ईरान को खुली चुनौती दी है। उन्होंने बताया कि ईरान में एयर स्ट्राइक करने की जरूरत क्या थी। उन्होंने अपने संबोधन में कई बातों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि “इस सैन्य अभियान का उद्देश्य इजरायल के अस्तित्व के लिए ईरानी खतरे को कम करना है। ये अभियान उस खतरे को खत्म करने के लिए जितने दिनों तक आवश्यक होगा, जारी रहेगा। दशकों से, तेहरान में अत्याचारी खुले तौर पर और बेशर्मी से इजरायल के विनाश का आह्वान करते रहे हैं। हाल के वर्षों में, ईरान ने नौ परमाणु बमों के लिए पर्याप्त उच्च संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन किया है । हाल के महीनों में, ईरान ने ऐसे कदम उठाए हैं जो उसने पहले कभी नहीं उठाए थे, उस संवर्धित यूरेनियम को हथियार बनाने की दिशा में ये जो कदम उठा रहा है अगर रोका नहीं गया, तो ईरान बहुत कम समय में परमाणु हथियार बना सकता है। ये एक साल के भीतर हो सकता है। ये कुछ महीनों के भीतर भी हो सकता है, एक साल से भी कम समय में हो सकता है। ये इजरायल के अस्तित्व के लिए एक स्पष्ट और मौजूदा खतरा है। अस्सी साल पहले, यहूदी लोग नाजी शासन द्वारा किए गए नरसंहार के शिकार हुए थे। हमने ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम के हेड पर हमला किया। हमने नतांज में ईरान की मुख्य संवर्धन सुविधा को निशाना बनाया। हमने ईरानी बम पर काम कर रहे ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाया। हमने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के केंद्र पर भी हमला किया” मध्य पूर्व में पहले से तनावपूर्ण माहौल अब और भी ज्यादा विस्फोटक हो चुके हैं। ईरान की जवाबी कार्रवाई भी निश्चित मानी जा रही है। मोसाद की यह कार्रवाई यह भी संकेत देती है कि इजरायल फिलहाल पारंपरिक युद्ध की बजाय सटीक और गहरे रणनीतिक हमलों की नीति पर चल रहा है।