मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल भेंट-मुलाकात स्थल पर पहुंचे। यहां अपनी बात शुरू करने से पहले उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा – “उत्साह ल कम करहु तभे तो गोठियाहु”।
– उन्होंने कहा कि पहले चरण में मैं बस्तर और सरगुजा, गौरेला पेंड्रा मरवाही गया फिर रायगढ़, अब आपके पास गया हूँ।
– मुख्यमंत्री ने कहा कि आज आपके बीच आकर बहुत खुशी हो रही है। बेलौदी में भेंट-मुलाकात में आकर अच्छा लग रहा है।
– मैं जानने आया हूँ कि आप सभी को योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं, जिस पर सबने एक स्वर में कहा – मिल रहा है।
कबीर को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि निंदक नियरे राखिये।
मैं जानना चाहता हूं कि क्या कमी रह गई है उसे भी दूर करेंगे।
– शत्रुघ्न ने बताया कि उसका 35 हजार का कर्ज माफ हुआ है। दो साल से राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ मिल रहा है।इस बीच शत्रुघ्न ने उत्साहपूर्वक “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” का नारा लगाया।
– डोमार सिंह साहू ने बताया कि 3 लाख कर्ज माफ हुआ, 38 हजार रुपए का 4 से भी अधिक बार न्याय योजना का लाभ मिला है, इस पर मुख्यमंत्री ने पूछा – इतना अतिरिक्त पैसा मिला तो क्या किया।
डोमार ने बताया कि बेटे की शादी की। मुख्यमंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा कि लड्डू नहीं खिलाये भैया !
– मुख्यमंत्री ने डोमार सिंह की बहु पूर्णिमा से पूछा – क्या लिया ससुर जी ने, तो बहु ने कहा कि मेरे लिए कार लेंगे।
– मुख्यमंत्री ने कहा कि राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना में जिन्होंने अभी तक पंजीयन नहीं कराया है, अपना नाम लिखा लें, साल का 7 हजार रुपये मिलेगा।
– मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोगों ने सबसे पहले किसानों की आय बढ़ाने पर कार्य किया, बड़े फैसले लिए। कोरोना की विपदा भी झेली, फिर भी विकास कार्य करते रहे। मनरेगा के कार्य, वनोपज खरीदी जैसे कार्य चलते रहे।
– कोरोना काल में भी अन्नदाता से किया वादा निभाते रहे, राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ लोगों को मिलता रहा।
– आज किसानों से बातचीत की, लगा कि उनके जीवन में कितनी खुशहाली आई है। खेती का रकबा भी बढ़ा। खेती में लोग लौट आये हैं।
– किसान की जेब में पैसा आया है। इससे खेती किसानी समृद्ध हुई है।
– ग्रामीणों को आवारा मवेशियों से हो रही दिक्कत के बारे में मुख्यमंत्री ने विस्तार से बताया, फिर बताया कि किस तरह गौठान की संकल्पना को मूर्त रूप दिया गया।
– गोबर खरीदी आरम्भ हो गई। पहले कहते थे सब गुड़ गोबर हो गया। अब गोबर गुड़ हो गया है।