विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में तंबाकू सेवन से होने वाली मृत्यु दर सबसे अधिक है और हर साल तंबाकू के सेवन की वजह से करीब 10 लाख लोगों की मौत हो रही है. वहीं, नेशनल सैंपल सर्वे संगठन की मानें तो भारत में हर दिन 14 साल से कम उम्र के 6000 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू के लत की चपेट में आ रहे हैं. इतना ही नहीं, 15 साल से अधिक उम्र की 40 फीसदी भारतीय आबादी तंबाकू का किसी न किसी रूप में सेवन करती है. यहां आपको बता दें कि तंबाकू में 4000 से अधिक प्रकार के ऐसे केमिकल होते हैं, जिनमें 70 से अधिक कार्सिनोजेन और निकोटीन पाए जाते हैं, जिनका लंबे समय तक इस्तेमाल इसका आदी बना देता है और आपको बहुत बीमार बना सकता है.

मैक्स हॉस्पिटल गुरुग्राम में ईएनटी विभाग के निदेशक और प्रमुख डॉ. रविंदर गेरा के अनुसार, किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है लेकिन इस सच्चाई को जानने के बाद भी ज्यादा से ज्यादा युवा बदलते लाइफस्टाइल के कारण इन आदतों की जकड़ में आ जाते हैं. चूंकि, तंबाकू के इस्तेमाल से जानलेवा बीमारियां होती हैं, इसलिए तंबाकू के किसी रूप में सेवन नहीं करने को लेकर जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी है. धूम्रपान या तंबाकू सेवन त्याग देने से ओरल कैंसर से बहुत हद तक बचाव हो सकता है. विश्व तंबाकू निषेध दिवस हमें तंबाकू के सेवन से शरीर और पर्यावरण दोनों के लिए खतरा बनने के बारे में लोगों को जागरूक करने का मौका देता है.
मुंह और गले से शुरू होता है तंबाकू का संक्रमण
डॉ. रविंदर गेरा के अनुसार, धूम्रपान का दुष्प्रभाव सांस लेने में दिक्कत के साथ कफ और गले के संक्रमण से शुरू होता है. इससे त्वचा भी दागदार हो जाती है और दांतों का रंग बिगड़ जाता है. समय के साथ हृदय रोग, ब्रोनकाइटिस, निमोनिया, स्ट्रोक तथा कई अन्य प्रकार के कैंसर जैसी और गंभीर समस्याएं बढ़ने लगती हैं, जिनमें ओरल कैंसर सबसे सामान्य होता है. चूंकि, जानलेवा बीमारियों की असली वजह तंबाकू का सेवन है, इसलिए तंबाकू सेवन के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी हो गया है. विशेषज्ञ उचित जांच के जरिए शरीर में धू्म्रपान संबंधी किसी भी बदलाव की पहचान कर सकते हैं और इस समस्या को बढ़ने देने से रोक सकते हैं.
धुंआ रहित तंबाकू का सेवन है अधिक खतरनाक
मैक्स हॉस्पिटल गुरुग्राम में मेडिकल आन्कोलॉजी के कंसल्टेंट डॉ. भुवन चुघ का कहना है कि धूम्रपान जानलेवा है. इससे मौत भी हो जाती है और भारत में एकाध नहीं, बल्कि इससे एक साल में 12 लाख मौतें होती हैं. इसके अलावा, सभी तरह के ओरल कैंसर के 90 फीसदी मामलों के लिए धुआं रहित तंबाकू का सेवन ही जिम्मेदार माना जाता है. इससे लगभग सभी अंग प्रभावित होते हैं और कई बीमारियां पैदा होती हैं. तंबाकू सेवन और धूम्रपान से जुड़ी बीमारियों का दायरा न सिर्फ बहुत बड़ा है, बल्कि यह खर्चीला भी है. इनमें ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक, क्रोनिक आब्सट्रक्टिव लंग डिसआर्डर, मुंह, गले, स्वर नली, फेफड़े, पैनक्रियाज, ब्लाडर के कैंसर के अलावा पैनक्रियाज, किडनी, लीवर और पेट से जुड़ी बीमारियां भी शामिल हैं.

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