मथुरा- बांके बिहारी मंदिर के खजाने से कॉरिडोर बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कॉरिडोर बनाने की मंजूरी दे दी। अब 5 एकड़ में भव्य कॉरिडोर बनाया जाएगा।
कोर्ट ने यूपी सरकार को मंदिर के 500 करोड़ रुपए से कॉरिडोर के लिए मंदिर के पास 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की इजाजत दी। साथ ही शर्त लगाई कि अधिगृहीत भूमि भगवान के नाम पर पंजीकृत होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को भी संशोधित किया। हाईकोर्ट ने मंदिर के आसपास की भूमि को सरकारी धन का उपयोग करके खरीदने पर रोक लगा दी थी।
बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर हाईकोर्ट के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में ईश्वर चंद्र शर्मा ने याचिका दाखिल की थी। इसमें दो मुद्दे रखे गए थे। पहला- रिसीवर को लेकर, दूसरा- कॉरिडोर निर्माण को लेकर। इन दोनों मुद्दों पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया।
मंदिर के खजाने से खरीदी जाएगी कॉरिडोर के लिए जमीन बांके बिहारी कॉरिडोर बनाने के लिए प्रदेश सरकार मंदिर के खजाने की राशि से कॉरिडोर के लिए जमीन खरीदना चाहती थी। लेकिन, इसका मंदिर के गोस्वामियों ने विरोध किया और मामला हाइकोर्ट पहुंच गया।
हाइकोर्ट ने मंदिर के खजाने की राशि के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। इसके बाद याचिकाकर्ता ईश्वर चंद्र शर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और कॉरिडोर को लेकर याचिका दाखिल की।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिए आदेश में कहा कि मंदिर के खजाने से कॉरिडोर की जमीन खरीदने के लिए पैसा लिया जा सकेगा। सरकार को जमीन मंदिर के नाम लेनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट सार्थक चतुर्वेदी ने बताया कि सरकार सिर्फ जमीन खरीदने के लिए बांके बिहारी मंदिर के खजाने से पैसा ले सकती है।
500 करोड़ रुपए से बनेगा कॉरिडोर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च होगा। यह खर्च भूमि अधिग्रहण के लिए किया जाएगा। बांके बिहारी मंदिर के खजाने में करीब 450 करोड़ रुपए हैं। इसी धनराशि से कॉरिडोर के लिए जमीन खरीदी जाएगी। इस जमीन को अधिगृहीत करने में जिनके मकान और दुकान आएंगे, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा।
मंदिरों में अधिवक्ता नहीं बन सकेंगे रिसीवर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिए फैसले में यह भी कहा कि मथुरा वृंदावन के मंदिरों में अब अधिवक्ता रिसीवर नहीं बन सकेंगे। एक ऐसा रिसीवर नियुक्त किया जाए जो मंदिर के प्रबंधन से जुड़ा हो, जिसका धार्मिक झुकाव हो। वह वेदों- शास्त्रों का अच्छी तरह से ज्ञान रखता हो। साथ ही वैष्णव संप्रदाय से जुड़ा हुआ हो। जिला प्रशासन और अधिवक्ताओं को मंदिर प्रबंधन से दूर रखा जाना चाहिए। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच न्यायाधीश बेला त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा ने दिया।
हाईकोर्ट ने खारिज की थी यूपी सरकार की याचिका बांके बिहारी कॉरिडोर के निर्माण मामले में 20 नवंबर, 2023 को हाईकोर्ट ने यूपी सरकार की याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था- कॉरिडोर का निर्माण हो, लेकिन इसमें मंदिर फंड का इस्तेमाल न करें। सरकार अपने स्तर से इसका खर्च उठाए।
वहीं, प्रदेश सरकार का कहना था कि अगर हम अपने खर्च से जमीन खरीदेंगे तो उस पर सरकार का मालिकाना हक होगा। इस तरह कॉरिडोर के निर्माण पर खर्च करने पर उस पर भी सरकार का अधिकार होगा। कॉरिडोर को मंदिर से क्लब किया जा सके और मंदिर प्रबंधन कमेटी इसका संचालन कर सके, इसके लिए जरूरी है कि मंदिर फंड से ही कॉरिडोर का निर्माण कराया जाए।
पढ़िए, कॉरिडोर को लेकर सरकार ने जो कुछ कहा कोर्ट में यूपी सरकार ने कहा कि रोज 40-50 हजार श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने आते हैं। वीकेंड पर यह आंकड़ा डेढ़ से 2 लाख और त्योहारों के दौरान 5 लाख से ज्यादा हो जाता है।
राज्य सरकार ने साल 2022 में हाईकोर्ट में कहा था कि भीड़ को कंट्रोल करने, मंदिर में भक्तों के लिए बेहतर होल्डिंग एरिया और कॉरिडोर बनाने के लिए मंदिर के नाम पर अतिरिक्त 5 एकड़ जमीन खरीदने के लिए कदम उठा रही है।
सरकार को मंदिर परिसर के भीतर मैनेजमेंट में कोई दिलचस्पी नहीं है। वह सिर्फ भक्तों की सुविधा चाहती है। यूपी सरकार सीधे मंदिर के अंदर जाने में दिलचस्पी नहीं रखती। वह मंदिर पर कोई मालिकाना हक नहीं चाहती।