रायपुर- नगरी वनांचल के गुहाननाला के 56 वर्षीय किसान बंशीलाल सोरी ने विलुप्त हो रही टमाटर की प्रजाति को बचाने में सफलता पाई है। बारहवीं तक पढ़े सोरी आदिवासी पृष्ठभूमि से हैं और पारंपरिक खेती करते हैं।
उनके दादा सुधूराम और बाद में पिता मंगलूराम परदादा घर की बाड़ी में चिरपोटी टमाटर उगाते थे, जो अब विलुप्त प्रजाति में गिना जाता है। बंशीलाल ने इसे संरक्षित करने का बीड़ा उठाया। इसके लिए उन्होंने परंपरागत जुगाड़ और आधुनिक तकनीक दोनों का उपयोग किया।
बंशीलाल बताते हैं, एक बार बाड़ी में लगाने के बाद लोगों को बाजार से टमाटर खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। इसका 99% बीज सुरक्षित रहता है। यह जमीन में कहीं भी उग जाता है। इसकी बढ़वार अधिकतम 2 इंच तक होती है। साल में 6 माह इसका उत्पादन होता है। लोग इसे छत पर भी उगा सकते हैं।
पिछले 20 साल में इस बीज के संरक्षण के लिए खूब मेहनत की। अब 25 डिसमिल जमीन में बीज डाले हैं। इस तैयारी में हूं कि बारिश के दौरान करीब 7 हजार पौधे तैयार कर लूं। इन पौधों को गांव-गांव बांटूंगा ताकि चिरपोटी टमाटर की पहुंच ज्यादा से ज्यादा लोगों तक बन सके।
इस टमाटर का स्वाद हाईब्रिड से बेहतर
किसान बंशीलाल ने बताया, मेरे इस प्रयास को केंद्र सरकार ने मान्यता भी प्रदान की है। केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर मुझे पौधा किस्म संरक्षण और कृषक अधिकार अधिनियम 2001 के तहत चिरपोटी टमाटर के अधिकार का हकदार माना है। यह अधिकार मुझे इस विलुप्त प्रजाति के संरक्षण और संवर्धन के प्रयासों के लिए दिया गया है।
इस टमाटर का स्वाद बाजार में मिलने वाले हाईब्रिड टमाटर से कहीं बेहतर होता है। स्वाद में यह चटपटा होता है। टमाटर की इस किस्म को जीआई टैग दिलाने के लिए पंजीयन भी कराया है। यह जिले के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। जीआई टैग मिलने के बाद क्षेत्र के किसानों में इसकी खेती के प्रति रुझान और बढ़ेगा। यह टमाटर लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकेगा।