दिल्ली में निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार ने अपराधिक मामलों को रोकने और उन्हें निपटाने के साथ ही किसी भी पीड़ित को जल्द से जल्द राहत देने के लिए डायल 112 पुलिस हेल्पलाइन सभी राज्यों में शुरू करवाया था. जिसका काम केवल किसी भी पीड़ित को रेस्पॉन्स कर जल्द राहत देने का है. लेकिन उत्तराखंड में इसके हाल बेहाल दिख रहे हैं. उत्तराखंड में दूसरे राज्यों के मुकाबले 112 का रेस्पॉन्स टाइम इतना ज्यादा है कि कई बार वारदात के बाद नुकसान बड़ा हो जाता है जिसकी भरपाई करना मुश्किल होता है.
आंकड़ाें पर गौर करें तो मार्च 2021 से मार्च 2022 के बीच उत्तराखंड 112 डायल का रेस्पॉन्स टाइम 21.89 मिनट प्रति कॉल आंका गया है. वहीं पड़ोस के राज्य उत्तरप्रदेश में रिस्पांस का रेस्पॉन्स टाइम उत्तराखंड से दो गुना है यानी कि प्रति कॉल यूपी में औसतन 10.69 मिनट आया है.

हिमाचल भी कम
पहाड़ी राज्य हिमाचल में डायल 112 का रेस्पॉन्स टाइम 18.01 मिनट मिला है. साथ ही हरियाणा में पीड़ित को राहत देने के लिए रेस्पॉन्स टाइम 15.47 मिनट मिला है. वहीं अगर निचले कर्म से देखें तो वेस्ट बंगाल, जम्बू-कश्मीर, मणिपुर, असम, छतीसगढ़ और लदाख के बाद किसी भी डायल 112 के खराब प्रदर्शन में उत्तराखंड का नाम आता है.

ये था उद्देश्य
दरअसल, डायल 112 टोल फ्री हेल्पलाइन का उद्देश्य था कि किसी भी घटना के दोरान कोई भी पीड़ित व्यक्ति या अन्य कोई डायल 112 पर कॉल कर जानकारी देता है तो उस कंडिशन में पीड़ित को जल्द रहत मिले. जिससे पीड़ित को समय पर उपचार या न्याय मिल सके. जिसके लिए साल 2020 में देहरादून में सबसे पहले डायल 112 सेंटर खोला गया. जहां प्रदेश के किसी भी कोने से पीड़ित या कोई भी व्यक्ति कॉल करे तो उसको जल्द राहत मिल पाए. वहीं मामले में एडीजी पुलिस टेलीकॉम अमित सिन्हा ने भी मना कि अभी प्रदेश में टोल फ्री डायल 112 का रेस्पॉन्स टाइम अन्य राज्यों कि अपेक्षा ज्यादा है, लेकिन इस रिस्पोंस टाइम को घटाने के हर प्रकार से प्रयास किये जा रहे हैं. जिसके लिए ट्रेनिंग भी सभी कर्मचारियों को दी जा रही है.

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