नई दिल्ली। नई दिल्ली स्थित एम्स के डॉ राजेंद्र प्रसाद नेत्र चिकित्सालय में डॉक्टर और दवा दुकानदारों की मिलीभगत से मरीजों से पैसों की अवैध उगाही करने का नायाब धंधा प्रकाश में आया है। यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब दिल्ली विश्वविद्यालय की रानी लक्ष्मीबाई कॉलेज की छात्रा साक्षी कुमारी आंख के ऑपरेशन के लिए दिल्ली एम्स में पहुंची।
साक्षी की मां रोमा कुमारी ने बताया कि नेत्र सर्जन डॉ प्रगति ने बायोपोर का आई बॉल अली ऑप्टिकल से खरीदने का दबाव बनाया। उन्होंने मानसिक दबाव बनाते हुए कहा कि आपको इसी दुकान से खरीदना है जबकि अन्य दुकानदार कम कीमत में देते हैं। इसके बाद उन्होंने कहा कि आपको दो पीस खरीदना है, और एक वापस हो जाएगा। दुकानदार अली ऑप्टिकल ने 73, 600 रुपए लेकर दो पीस बायोपर दिया। बीते 13 जनवरी को जब ऑपरेशन थियेटर में इसका डब्बा खोला गया तो डॉ प्रगति ने कहा कि इसमें 18 उउ की बजाय 16 उउ है। उसके बाद उन्होंने बिना अभिभावक की सहमति के सीधे मेडिकल दुकानदार से बात करके एक अन्य बायोपर जैसी अन्य सामग्री मंगवाई और बताया कि इसका दाम 65 हजार है, जिसे अब आपको जमा पैसे से घटाकर मिलेगा।
इसी बीच दुकानदार का सेल्स मैन पहले से रखे बायोपर को लेकर भागने लगा, परंतु साक्षी के रिश्तेदारों ने उसे घेर लिया और वह सामग्री ले लिया। दुकानदार से जब रिश्तेदारों ने बात की तो उसने बदतमीजी से बात करते हुए कहा कि आप डॉक्टर से बात कीजिए। समाचार लिखे जाने तक दुकानदार ने परिजनों को एक पीस बायोपर की कीमत जो करीब 37 हजार है वापस नहीं की थी। बल्कि 73, 600 मूल्य की वह सामग्री वापस ले ली। लोकतंत्र24 के रिपोर्टर ने एम्स डायरेक्टर से संपर्क साधने की कोशिश कि परंतु संपर्क नहीं हो सका है।
इससे उठते हैं ये प्रश्न और खुल सकते हैं कई राज-
- डॉक्टर प्रगति ने एक ही दुकानदार अली मेडिकल से सामग्री खरीदने के लिए क्यों मानसिक दबाव बनाया।
- ऑपरेशन थियेटर में ऑपरेशन के पूर्व डॉक्टर ने ऑपरेशन संबंधी सामानों की क्यों नहीं जांच की कि वह उपयुक्त है या नहीं ? डॉक्टर ने ऑपरेशन के दौरान ही यह खुलासा क्यों किया कि इसमें बायोपर का आकार गलत है, जबकि इसकी जांच ऑपरेशन थियेटर में जाने के पूर्व करनी चाहिए थी।
- डॉक्टर ने अपने प्रेस्क्राइब्ड बायोपर की जगह क्योंकर अन्य सामग्री लगाई और इसके लिए उन्होंने सीधे दुकानदार से क्यों संपर्क साधा।
- ऑपरेशन थियेटर में जब अपने प्रेस्क्राइब्ड बायोपर से अधिक मूल्य की अन्य सामग्री लगाई गई तो अभिभावक से उसकी सहमति क्यों नहीं ली गई ? क्या एन वक्त पर ऐसा करना अन्यथा मंशा को नहीं दर्शाता है? इसके अतिरिक्त प्रेस्क्राइब्ड बायोपर के स्थान पर जो अन्य सामग्री लगाई गई वह क्या थी, किस क्वालिटी की थी, क्यों नहीं बताई गई, जो मेडिकल जांच का विषय है।
- बायोपर के डब्बे पर अंकित साइज और अन्य नंबर को नाखून से खरोचने का निशान क्यों पाया गया ?
- दुकानदार ने क्योंकर बिना परिजन से पूछे पूर्व में रखे बायोपर को ऑपरेशन थियेटर चोरी से कैसे ले जा रहा था ? ऑपरेशन थियेटर के अंदर दुकानदारों को आने की अनुमति कैसे मिल जाती है और इसके पीछे की मंशा क्या होती है ?
- दुकानदार से प्राप्त बिल में दुकानदार का ळैज् नंबर क्यों नहीं अंकित है और वह ळैज् बिल क्यों नहीं है ? दुकानदार द्वारा इस विषय पर बात करने से कतराना राजस्व के नुकसान का मामला प्रतीत होता है, जो जांच का विषय है। परिजनों ने जब ळैज् बिल मांगा तो दुकानदार ने दुकान पर से भाग जाने को कहा, जो एम्स में आनेवाले मरीजों के मानवाधिकार के खिलाफ है।
- पूर्व में तय किए गए सहमति के आधार पर दुकानदार पैसे क्यों नहीं वापस किए ?
- रिश्तेदारों के द्वारा पैसा वापस मांगने पर डॉक्टर और दुकानदार धमकी भरे बात क्यों कह रहे हैं ?
मरीज छात्रा साक्षी कुमारी और उसके परिजन अभी भी न्याय की आस में है और अस्पताल में डॉक्टर्स के प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं। वे भयाक्रांत होकर वापस अपने निवास जाने की राह देख रहे हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय की अभाविप अध्यक्षा मृतविंदा कुमारी ने इस विषय को प्रधानमंत्री तक शिकायत करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि अगर इसके लिए आंदोलन भी करना होगा तो उच्च अधिकारियों से बात करके करेंगे।