भारत में कारों के लिए 6 एयरबैग आवश्यक होने के बाद कई कार निर्माताओं की चिंता बढ़ गई है. देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी सरकार से इस नियम पर फिर से विचार करने की बात कह रही है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों को डर है कि इस नियम की वजह से किफायती कारों की कीमत काफी बढ़ जाएगी, जिसका असर सीधे कारों की बिक्री पर होगा.

भारत में ऑटो सेक्टर बीते कुछ सालों से अपने खराब दौर से गुजर रहा है. कई कंपनियों की बिक्री में काफी गिरावट आई है. इसकी वजह कोरोना महामारी, सेमीकंडक्टर की कमी और ग्लोबल सप्लाय चैन का प्रभावित होना है. हालांकि, अब धीरे-धीरे कंपनियों की स्थिति सुधर रही है, लेकिन अब तक यह कोरोना महामारी से पहले के स्तर तक नहीं पहुंच पाई है. कंपनियों को डर है कि यह नियम उनकी बिक्री पर काफी असर डालेगा.

क्या हैं नए सुरक्षा नियम?

इस साल 14 जनवरी को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 8 यात्रियों तक ले जाने वाले मोटर वाहनों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए 6 एयरबैग अनिवार्य करने के लिए एक मसौदा तैयार किया. गडकरी ने पिछले साल अगस्त में भारत में सभी वाहन निर्माताओं से सभी मॉडलों में कम से कम छह एयरबैग देने का आग्रह किया था. इस जनवरी में सभी कारों पर डुअल एयरबैग (चालक और यात्री) जरूरी हो गए. इस साल के आखिर में यह नियम लागू हो जाएगा.

आखिर क्यों है कारों में ज्यादा एयरबैग्स की जरूरत

एयरबैग एक्सीडेंट की स्थिति में पैसेंजरों की सुरक्षा करते हैं. यह स्टीयरिंग व्हील, डैशबोर्ड, ग्लास और कार के अन्य हिस्सों से पैसेंजर की होने वाली टक्कर से बचाते हैं. अमेरिकी सरकारी कंपनी नेशनल हाईवे ट्रैफिक सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन (NHTSA) का अनुमान है कि 1987 से 2017 तक केवल फ्रंट एयरबैग ने केवल अमेरिका में 50,457 लोगों की जान बचाई है. भारत में भी हर साल सड़क हादसों में हजारों लोगों की मौत होती है. वहीं, भारत में बनने वाली कारें सेफ्टी की मामले में काफी पीछे हैं. इसलिए सरकार ने कार के सफर को ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है.
क्या है कंपनियों के सामने चुनौतियां?

इस नियम के लागू होने के बाद किफायती और सस्ती कारों की कीमतें काफी हद तक बढ़ जाएंगी. एंट्री-लेवल ऑटोमोटिव में फ्रंट एयरबैग की कीमत आमतौर पर 5,000 रुपये से 10,000 रुपये के बीच होती है और साइड और कर्टेन एयरबैग की कीमत दोगुनी से अधिक हो सकती है. भारत में ज्यादातर 10 लाख रुपये से ऊपर वाली कारों में ही 6 एयरबैग मिलते हैं. निर्माताओं ने यह भी संकेत दिया है कि कारों की कीमतें बढ़ने से सस्ती कारों की बिक्री पर काफी असर होगा. जो भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली कारें हैं.

क्या है निर्माताओं का तर्क?
निर्माताओं का तर्क है कि कुछ ही उपभोक्ता सुरक्षित कारों के लिए ज्यादा रुपये खर्च करना चाहते हैं. मारुति सुजुकी के मुताबिक, उपभोक्ताओं की प्राथमिकताओं में एबीएस (एंटी-लॉक ब्रेक सिस्टम) जैसे सेफ्टी फीचर्स पहले आते हैं. इसके अलावा ग्राहक कम बजट में एयर-कॉन, एनर्जी होम विंडो और सेंट्रल लॉकिंग जैसे फीचर्स चाहते हैं. कंपनी के एग्जीक्यूटिव का कहना है कि वैगन-आर के हाई वेरिएंट में ड्राइवर-सीट एयरबैग की आपूर्ति की गई थी, लेकिन ग्राहकों में दिलचस्पी न होने के कारण मॉडल को वापस लेना पड़ा था.

क्या है विशेषज्ञों का मानना?

सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ट्विन एयरबैग, एबीएस और रियर वाइपर जैसे सुरक्षा विकल्प कार की कीमत में केवल 25,000 रुपये का इजाफा करेंगे. निर्माता इन विकल्पों को केवल वाहनों के टॉप-एंड वेरिएंट में पेश करते हैं और उन्हें अन्य विकल्पों के साथ जोड़ते हैं, जिससे कार लगभग 1.20 लाख रुपये या उससे अधिक महंगी हो जाती है. वास्तव में, यह भारतीय ऑटोमोटिव उपभोक्ताओं को ऐसे वेरिएंट से दूर करता है, जिनमें ज्यादा सेफ्टी फीचर्स नहीं है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here