रायपुर- रायपुर में रिटायर्ड IAS अनिल टूटेजा के घर CBI ने छापा मारा है। 2000 करोड़ के शराब घोटाले मामले में CBI जांच पड़ताल कर रही है। फिलहाल, कार्रवाई की पुष्टि नहीं हो पाई है। लेकिन बताया जा रहा है कि टीम में 6 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं।

शराब घोटाले मामले में CBI जांच पड़ताल कर रही है। - Dainik Bhaskar
शराब घोटाले मामले में CBI जांच पड़ताल कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को जमानत दी है। ये जमानत छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में मिली है। हालांकि, पासपोर्ट जमा कराने समेत कुछ शर्तें भी रखी गई हैं।

मंगलवार को जमानत आवेदन पर सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बैंच में हुई। हालांकि, अनिल टुटेजा को ED के केस में राहत मिली है, लेकिन शराब घोटाले मामले में EOW की जांच कर रही है। इस केस में टूटेजा जेल में बंद हैं, ऐसे में वे जमानत के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ पाए।

सुप्रीम कोर्ट ने बताई वजह

सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 2 अप्रैल 2025 को विशेष अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें टुटेजा के खिलाफ आरोप तय किए गए थे। हाई कोर्ट ने कहा था कि आरोप तय करने से पहले सरकार से अनुमति (CrPC की धारा 197 के तहत) नहीं ली गई थी।

धारा 197 के अनुसार, यदि कोई सरकारी अफसर अपने कार्य के दौरान किसी अपराध का आरोपी है, तो कोर्ट में मुकदमा चलाने के लिए पहले सरकार से मंजूरी लेना जरूरी होता है।

जमानत की शर्तें और प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को आदेश दिया कि टुटेजा को जमानत की प्रक्रिया के लिए संबंधित कोर्ट में पेश किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि विशेष न्यायाधीश की अदालत अभी खाली है। इसके अलावा शर्तों में, पासपोर्ट सरेंडर करना और अदालत में सुनवाई के दौरान पूरा सहयोग करना शामिल है।

ED के वकील ने जमानत में विरोध में दिया ये तर्क

ED की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि, अनिल टुटेजा एक वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं। जो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्होंने कोर्ट में टुटेजा पर नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले में भी शामिल होने का आरोप लगाया और कहा कि वे गवाहों को प्रभावित करने और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए सक्षम हैं।

क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सेवानिवृत्त IAS अधिकारी अनिल टुटेजा के निवास पर शुक्रवार को CBI की टीम ने छापेमारी की। यह कार्रवाई 2000 करोड़ रुपए के कथित शराब घोटाले से जुड़ी जांच का हिस्सा है। फिलहाल CBI की ओर से आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि टीम में छह से अधिक अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं।
इससे एक दिन पहले, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अनिल टुटेजा को शराब घोटाले से जुड़े मामले में जमानत दी थी। कोर्ट ने जमानत देते हुए कुछ शर्तें भी लगाईं, जिनमें पासपोर्ट जमा करना और न्यायिक प्रक्रिया में पूरा सहयोग देना शामिल है।

जमानत याचिका पर सुनवाई जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने की। अनिल टुटेजा को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज केस में राहत तो मिली है, लेकिन आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की जांच अभी भी जारी है। इस कारण, जमानत मिलने के बावजूद वह जेल से बाहर नहीं आ सके हैं।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 2 अप्रैल 2025 को एक विशेष अदालत के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें टुटेजा पर आरोप तय किए गए थे। हाई कोर्ट का कहना था कि आरोप तय करने से पूर्व सरकार से स्वीकृति लेना जरूरी था, जैसा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 197 में स्पष्ट किया गया है।

CrPC धारा 197 क्या कहती है?

धारा 197 के तहत, यदि कोई सरकारी अधिकारी अपने आधिकारिक कर्तव्यों के दौरान किसी आपराधिक कृत्य में लिप्त पाया जाता है, तो अदालत में उसके विरुद्ध अभियोजन चलाने के लिए पहले संबंधित सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश और जमानत की प्रक्रिया

सर्वोच्च न्यायालय ने ईडी को निर्देश दिया कि अनिल टुटेजा को जमानत की औपचारिकताओं के लिए संबंधित अदालत में पेश किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि फिलहाल विशेष न्यायाधीश की अदालत खाली है, फिर भी कानूनी प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए।

ईडी की आपत्ति और तर्क

ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने जमानत का विरोध करते हुए तर्क दिया कि अनिल टुटेजा एक वरिष्ठ और प्रभावशाली अफसर रहे हैं, जिनका नाम बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में सामने आया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि टुटेजा न केवल शराब घोटाले बल्कि नागरिक आपूर्ति निगम से जुड़े भ्रष्टाचार में भी संलिप्त रहे हैं और वे गवाहों को प्रभावित करने एवं सबूतों से छेड़छाड़ करने की स्थिति में हैं।

छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले का पूरा मामला

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच ईडी द्वारा की जा रही है, जिसमें ACB में दर्ज FIR के आधार पर 2000 करोड़ रुपए से अधिक की वित्तीय अनियमितताओं का आरोप है। जांच एजेंसी के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल में इस घोटाले को एक सिंडिकेट ने अंजाम दिया। इस सिंडिकेट में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के पूर्व एमडी एपी त्रिपाठी और व्यवसायी अनवर ढेबर शामिल थे।

ईडी की रिपोर्ट के अनुसार घोटाले के तीन मुख्य हिस्से:

– पार्ट-A (कमीशन सिस्टम): CSMCL के माध्यम से खरीदी गई शराब के प्रत्येक केस पर डिस्टिलर से रिश्वत ली जाती थी।

– पार्ट-B (कच्ची शराब की बिक्री): बड़ी मात्रा में अवैध देशी शराब बिना रिकॉर्ड के बेची गई। इन बिक्री से हुई आय पूरी तरह से सिंडिकेट ने रख ली और सरकारी खजाने में एक रुपया भी नहीं पहुंचा। यह शराब सरकारी दुकानों से ही बेची जाती थी।

– पार्ट-C (लाइसेंस आधारित घूसखोरी): विदेशी शराब बेचने के लाइसेंस FL-10A धारकों से मोटी रिश्वत वसूली गई और बाज़ार में हिस्सेदारी देने के बदले में उन्हें जगह दी गई।

यह पूरा मामला छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े घोटालों में से एक माना जा रहा है, जिसकी जांच अब CBI और ED दोनों एजेंसियों द्वारा की जा रही है।

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