रायपुर में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने NIT, IIT और IIM के छात्रों से कई गंभीर मुद्दों पर चर्चा की। रायपुर के छात्रों से ष्बेहतर भारत बनाने के विचारष् विषय पर संवाद करते हुए उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, ष्हम इस देश में अवैध प्रवासन से पीड़ित हैं, जो लाखों की संख्या में है। अगर आप इनकी संख्या गिनने जाएं तो यह चौंका देने वाली होगी, यह अवैध प्रवासन अब एक नासूर बन चुका है, यह हमारे चुनावी तंत्र पर प्रभाव डालने की क्षमता रखते हैंा वे आसानी से समर्थन प्राप्त कर लेते हैं। ये लाखों में है, इसके हमारे अर्थव्यवस्था पर प्रभाव को देखें। ये हमारे संसाधनों, रोजगार, स्वास्थ्य क्षेत्र, और शिक्षा क्षेत्र पर दबाव डालते हैं। अवैध प्रवासियों की इस विशाल समस्या का समाधान में अब और देर नहीं की जा सकती । हर बीतता दिन इसे और जटिल बना रहा है, हमें इस समस्या से निपटने की जरूरत है।
एक छात्र के प्रश्न का उत्तर देते हुए, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि देश को गुणवत्ता वाले राजनीतिज्ञों की आवश्यकता है और हमारे युवाओं को इस बात को लेकर चिंतित होना चाहिए कि जब सार्वजनिक प्रतिनिधि अपना काम नहीं कर रहे और संवाद व विचार-विमर्श के बजाय विघटन और उथल-पुथल में लिप्त हैं। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे सोशल मीडिया और अन्य मंचों के माध्यम से सार्वजनिक प्रतिनिधियों पर दबाव बनाएं ताकि वे अपना कर्तव्य निभाएं।
जनसंख्या विस्फोट और योजनाबद्ध धर्मांतरण को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, हमारे राष्ट्रीयता के लिए जनसंख्या विस्फोट एक गंभीर खतरे के रूप में उभर रहा है। जैविक जनसंख्या विकास शांति और सामंजस्यपूर्ण होता है, लेकिन अगर जनसंख्या विस्फोट केवल लोकतंत्र को अस्थिर करने के लिए हो, तो यह एक चिंता का विषय बन जाता है। फिर धर्मांतरण की योजनाबद्ध कोशिशें होती हैं, जो प्रलोभन के माध्यम से देश की जैविक जनसंख्या को बदलने का उद्देश्य रखती हैं। यह हर किसी का सर्वाेत्तम अधिकार है कि वह अपने लिए निर्णय लें, लेकिन अगर वह निर्णय प्रलोभन से प्रभावित हो, तो यह एक गंभीर चिंता का विषय है, जिसे हमें नोट करना चाहिए।
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) जो की एक संवैधानिक ज़िम्मेदारी है उसका विरोध करने वालों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, UCC, यूनिफॉर्म सिविल कोड। हमारे संविधान के निर्देशात्मक सिद्धांतों में है। शासन पर यह दायित्व डाला गया है कि कानून लाए, यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करें। एक राज्य, उत्तराखंड ने इसे लागू किया है। हम संविधान में लिखी किसी चीज का विरोध कैसे कर सकते हैं? जो हमारे संविधान का हिस्सा है? हमें केवल चुनावी गणनाओं के संकुचित दृष्टिकोण से प्रभावित नहीं होना चाहिए। संविधान के निर्माताओं ने बहुत बुद्धिमानी और केंद्रित तरीके से हमारे लिए कुछ बुनियादी सिद्धांत दिए, लेकिन उन्होंने यह भी संकेत दिया था कि जैसे-जैसे लोकतंत्र परिपक्व होगा, हमें अपने लोगों के लिए कुछ लक्ष्य भी समझने होंगे, जिसमें से एक है यूनिफॉर्म सिविल कोड।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि जो लोग विधायिका में हैं, वे न्यायपालिका को यह नहीं बता सकते कि कैसे निर्णय लिखें। वही न्यायपालिका का काम है। इसी तरह कोई संस्था विधायिका को यह नहीं बता सकती कि उसे अपने कार्य कैसे करने चाहिए। संवैधानिक ज्ञान यही है कि हमें एक-दूसरे के दायरे का सम्मान करना चाहिए। सभी संस्थाएं अंततः राष्ट्र की सेवा में हैं, और इसलिए, राष्ट्र की सेवा का सबसे अच्छा तरीका यह है कि हर संस्था, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका अपने निर्धारित कार्यों में कार्य करे।