प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा बीते 7 मई को किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद उनका यह पहला संबोधन था। आधे घंटे के अपने इस विशेष संबोधन में उन्होंने देश की सामरिक ताकत का जिक्र तो किया ही, साथ ही आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान को कड़ा संदेश भी दिया। उनके इस संबोधन की दस खास बातें यहां पढ़ें।
1. राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते, पानी और खून भी एक साथ नहीं बह सकते।
2. राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया ने पाकिस्तान का वो गंदा सच देखा है जब सेना के उच्च पदस्थ अधिकारियों ने मारे गए आतंकवादियों को अंतिम विदाई दी। राज्य प्रायोजित आतंकवाद का इससे बड़ा सबूत नहीं हो सकता।
3. अगर भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत होगी, तो यह केवल आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर होगी…भारत का रुख स्पष्ट रहा है, आतंकवाद, व्यापार और बातचीत एक साथ नहीं हो सकते।
4. भारत की आक्रामक कार्रवाई के बाद पाकिस्तान बचने के रास्ते खोजने लगा और बुरी तरह पिटने के बाद 10 मई के दोपहर को पाकिस्तानी सेना ने हमारे DGMO को संपर्क किया। तब तक हम आतंकवाद के इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर तबाह कर चुके थे, आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था। पाकिस्तान के सीने में बसाने गए आतंक के अड्डों को हम खंडहर बना चुके थे।
5. आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा था… इसलिए भारत ने आतंक के ये हेडक्वार्ट्स उजाड़ दिए। भारत के इन हमलों में 100 से अधिक खूंखार आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया।
6. जब भारतीय मिसाइलों और ड्रोनों ने पाकिस्तान में उन ठिकानों पर हमला किया, तो न केवल आतंकवादी संगठनों की इमारतें हिल गईं, बल्कि उनके हौसले भी डगमगा गए। भवालपुर और मुरीदके जैसे आतंकवादी स्थल वैश्विक आतंकवाद के विश्वविद्यालय थे। दुनिया में हुए सभी बड़े आतंकवादी हमले, चाहे 9/11 हो या भारत में हुए बड़े आतंकवादी हमले, किसी न किसी तरह से इन आतंकवादी स्थलों से जुड़े हुए हैं।
7. आतंकियों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि भारत इतना बड़ा फैसला ले सकता है, लेकिन जब देश एकजुट होता है, नेशन फर्स्ट की भावना से भरा होता है, राष्ट्र सर्वोपरि होता है, तो फौलादी फैसले लिए जाते हैं। परिणाम लाकर दिखाए जाते हैं।
8. ऑपरेशन सिंदूर, सिर्फ नाम नहीं है, ये देश के कोटि-कोटि लोगों की भावनाओं का प्रतिबिंब है। ऑपरेशन सिंदूर, न्याय की अखंंड प्रतिज्ञा है। 6 मई की देर रात, 7 मई की सुबह पूरी दुनिया ने इस प्रतिज्ञा को परिणाम में बदलते देखा है।
9. पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने जो बर्बरता दिखाई थी, उसने देश और दुनिया को झकझोर दिया। छुट्टियां मना रहे निर्दोष, मासूम नागरिकों को धर्म पूछकर उनके परिवार के सामने, उनके बच्चों के सामने बेरहमी से मार डालना, ये आतंक का बहुत वीभत्स चेहरा था, क्रूरता थी। ये देश के सद्भाव को तोड़ने की कोशिश भी थी। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से ये पीड़ा बहुत बड़ी थी।
10. ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक नाम नहीं है। यह देश के लाखों लोगों की भावनाओं का प्रतिबिंब है। ऑपरेशन सिंदूर न्याय की अटूट प्रतिज्ञा है। 6 मई की देर रात और 7 मई की सुबह पूरी दुनिया ने इस प्रतिज्ञा को परिणामों में बदलते देखा है।